बिलासपुर मे करोड़ो रुपए की लागत से कोरोना संदिग्ध के इलाज के लिए जिला अस्पताल को संभागीय कोविड-19 में तब्दील किया जा रहा है।इसके लिए SECL द्वारा 4 करोड़ 8 लाख रुपए सीएसआर मद से राशि स्वीकृति की है,जिसमें अब तक तक 1 करोड़ 63 लाख रुपए खर्च कर तीन ICU वार्ड बनाये गए है,प्रत्येक वार्डो में 10-10 अत्याधुनिक आईसीयू बेड लगाए गए हैं,अस्पताल के डेवलपमेंट की जिम्मेदारी पी डब्लू डी के विभाग को दी गई है,इसके निर्माण कार्य के पहले दिन से ही किए जा रहे खर्च को लेकर कई सवाल खड़े होने शुरू होने लगे है, वहीं दूसरी ओर बिलासपुर में हाईकोर्ट के फटकार के बाद भी राज्य सरकार के द्वारा बिलासपुर में कोरोना जाँच की सुविधा उपलब्ध न होना बहुत ही शर्मनाक और दुर्भाग्यपूर्ण है जबकि बिलासपुर संभाग से ही सबसे ज्यादा कोरोना पीडितो की संख्या है
राज्य सरकार ने रायपुर में 5
जगदलपुर, रायगढ़ में 1-1 लैब की स्थापना करवाई है तो बिलासपुर में क्यो नही??? बिलासपुर छत्तीसगढ का दूसरा सबसे बड़ा शहर है
वही बिलासपुर में अलग अलग राज्यों से बिलासपुर में लगभग 1लाख से अधिक मजदूरो को लाया जा रहा है पर बिलासपुर जैसे शहर में ना ही कोई कोरोना जाँच की सुविधा उपलब्ध है और नहीं कोरोना अस्पताल है ऐसे में अगर किसी भी कोरोना संदिग्धो का सैम्पल खराब होता है तो इसकी जिम्मेदारी किसकी????बिलासपुर को 15 प्रमुख शहरो की क्ष्रेणी मे रखा गया है
जहाँ के लिए विशेष ट्रेन चलाई जा रही है
ऐसे में बिलासपुर के लिए विशेष तौर पर कोरोना लैब और 500 बेड वाले कोरोना अस्पताल की व्यवस्था की जानी चाहिए।
राज्य सरकार बिलासपुर को छत्तीसगढ़ की दूसरा सबसे बड़ा शहर मानकर प्रयास करना चाहिए 🙏
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